भारत की इलेक्ट्रिक वाहन नीति को लेकर चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में औपचारिक शिकायत दर्ज की है। यह मामला अब India China EV subsidy dispute के नाम से चर्चा में है, जो दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में नया तनाव जोड़ सकता है।
चीन का दावा है कि भारत की EV और बैटरी प्रोत्साहन योजनाएँ अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन करती हैं। उसके वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि ये नीतियाँ विदेशी कंपनियों के लिए असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार करती हैं और घरेलू उद्योगों को अनुचित बढ़त देती हैं।
WTO में India China EV subsidy dispute
India China EV subsidy dispute उस समय सामने आया है जब दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीनों में राजनयिक स्तर पर संवाद बढ़ा है। हालांकि, इस शिकायत ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को नई चुनौती दी है।
भारत का कहना है कि उसका उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ग्रीन मोबिलिटी’ मिशन के तहत घरेलू EV विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जो WTO मानकों के अनुरूप है। वहीं, चीन का तर्क है कि भारत की सब्सिडी योजनाएँ उसके EV निर्यात पर नकारात्मक असर डाल रही हैं।
चीन की रणनीति और वैश्विक असर
BYD जैसी प्रमुख चीनी कंपनियाँ घरेलू बाजार में घटती बिक्री और तेज प्रतिस्पर्धा के कारण अब एशिया और यूरोप के बाजारों की ओर रुख कर रही हैं। ऐसे में India China EV subsidy dispute चीन की रणनीतिक चिंताओं को और बढ़ा सकता है।
भारत में बढ़ते EV बाजार को देखते हुए चीन इसे अवसर के रूप में देखता है, लेकिन सब्सिडी नीतियों पर टकराव इस विस्तार को मुश्किल बना सकता है।
भारत का जवाब
भारतीय वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि चीन की शिकायत की समीक्षा की जा रही है और भारत WTO प्रक्रिया के तहत कानूनी रूप से अपना पक्ष रखेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि India China EV subsidy dispute का समाधान दोनों देशों के बीच आर्थिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
News Source: gujaratsamachar